जेडीयूऔर टीडीपी ने बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य की दर्जे की मांग की है..

लोकसभा चुनाव 2024में भले ही एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिल गया है लेकिन BJP अपनी दम पर बहुमत के आंकड़े 272 से काफी दूर हैऔर इसीलिए BJP को अपनी तीसरी बार सरकार बनाने के लिए अपने गठबंधनों पर निर्भर रहना पड़ा | 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश की मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू इस गठबंधन सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैंऔर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरा कार्यकाल  दिलाने में “किंगमेकर” की भूमिका में उभरे हैं  |

बिहार और आंध्र प्रदेश लंबे समय से विशेष श्रेणी  राज्य की दर्जे   की मांग कर रहे हैं अब अपनी पार्टी के प्रभावशाली प्रदर्शन को देखते हुए उनके पास मौका है कि यह अपनी मांगे बनवाने के लिए भाजपा को मजबूर  कर सकते हैं |

क्या है विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा 

विशेष श्रेणी का दर्जा( SCS)किसी पिछड़े राज्य को उनकी विकास दर के आधार पर दिया जाता है यदि कोई राज्य भौगोलिक ,सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़ा हो उसको कर और शुल्क में विशेष छूट देने के लिए विशिष्ट दर्जा दिया जाता है|

भारत के संविधान में ऐसे विशेष श्रेणी का कोई प्रावधान नहीं है | 

भारत में वर्ष 1969 में गाडगिल कमेटी की सिफारिश के तहत विशेष राज्य के दर्जे की संकल्पना अस्तित्व में आई और इसी साल पहली बार 1969 में ही असम, नगालैंड और जम्मू- कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था

विशेष श्रेणी का दर्जा पाने के लिए मानदंड ( गाडगिल फार्मूला के आधार पर)

1.पहाड़ी और दुर्गम इलाका

2.कम जनसंख्या घनत्व या जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा

3.पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान

4.आर्थिक एवं आधारभूत संरचना में पिछड़ापन

5. राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं होना 

कितने राज्यों को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा दिया गया है?

वर्तमान में भारत की 11 राज्यों को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा दिया गया है जिन में असम, नागालैंड ,हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय,सिक्किम ,त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम ,उत्तराखंड और तेलंगाना शामिल है |

NOTE-तेलंगाना राज्य के गठन के बाद राज्य को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए इसे यह  दर्जा दिया गया था |

भारतीय संविधान की धारा 371 के तहत किसी राज्य के लिए विशेष प्रावधान किए जाते हैं जिसके तहत उसे विशेष श्रेणी का दर्जा दिया जाता है |

फायदे क्या है?

जब किसी राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा प्राप्त होता है तब उस राज्यों को केंद्र सरकार की ओर से विशेष छूट दी जाती है तथा अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा अनुदान दिया जाता है |

1.केंद्र, विशेष श्रेणी दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजना में आवश्यक धनराशि का 90% का भुगतान करता है जबकि अन्य राज्यों के मामले में यह 60% या 75% हैऔर शेष धनराशि राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की जाती है | 

2.विशेष श्रेणी दर्जा प्राप्त राज्यों द्वारा एक वित्तीय वर्ष में खर्च नहीं किया गया धन अगले सत्र के लिए सुरक्षित कर लिया जाता है और समाप्त नहीं होता है जबकि अन्य राज्यों में राशि खर्च नहीं होती है तो वह राशि लैप्स हो जाती है  यानी उसे आगे नहीं ले जा सकते हैं  |

3. विशेष श्रेणी दर्जा प्राप्त राज्यों को सीमा शुल्क, आयकर एवं कारपोरेट कर में महत्वपूर्ण रियायत प्रदान की जाती है |

4. स्पेशल स्टेटस पाने वाले राज्यों के लिए एक्साइज ड्यूटी में भी महत्वपूर्ण छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया है ताकि वहां बड़ी कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग फैसेलिटीज स्थापित कर सके |

5. केंद्र की कुल बजट का 30% विशेष श्रेणी के राज्यों पर खर्च किया जाते हैं 

बिहार विशेष राज्य का दर्जा क्यों मांग रहा है ?

1.प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध झारखंड के अलग (2000) होने की वजह से बिहार की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई

2. राज्य, उत्तरी क्षेत्र में बाढ़ और दक्षिणी भाग में गंभीर सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है,बार-बार आने वाली आपदाएं कृषि गतिविधियों को बाधित करती है जिससे आजीविका और आर्थिक  स्थिरता प्रभावित होती है

3.सिंचाई के लिए प्राप्त संसाधनों का अभाव कृषि उत्पादकता को  प्रभावित करता  हैं जो आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए आजीविका को प्राथमिक स्रोत है

4.बिहार में गरीबी दर उच्च है यहां लगभग 94 लाख गरीब परिवार है

5. लगभग 54 हजार रुपए प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के साथ बिहार लगातार सबसे गरीब राज्यों में से एक रहा है

अतः राज्य  की एक  बड़ी आबादी को स्वास्थ्य शिक्षा और बुनियादी ढांचे तक पहुंच नहीं है,केंद्र सरकार द्वारा SCS देने से बिहार को अगले 5 वर्षों में विभिन्न कल्याण कार्यों के लिए लगभग ढाई लाख करोड रुपए प्राप्त करने में मदद मिलेगी जिससे बिहार में लंबे समय से चली आ रही सामाजिक- आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने में सहायता होगी |

आंध्र प्रदेश विशेष राज्य का दर्जा क्यों मांग रहा है ?

जब साल 2 जून  2014 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश राज्य कोआंध्र प्रदेश और तेलंगाना नाम से दो राज्यों में बांटा गया था तो आंध्र प्रदेश के राजस्व के एक बड़े हिस्से को नुकसान हुआ था  

साथ ही आंध्र प्रदेश सरकार ने यह भी तर्क दिया है कि इस प्रकार की विशेष प्रोत्साहन मुख्य रूप  से कृषि प्रधान राज्य की तीव्र औद्योगीकरण के लिए महत्वपूर्ण है तथा इससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों में सुधार होगा तथा राज्य का समग्र विकास होगा |

14 वे वित्त आयोग की सिफारिश 

1. 14 वे  वित्त आयोग ने पूर्वोत्तर और तीन पहाड़ी राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा समाप्त कर दिया है  

2. इसने ऐसे राज्यों की संसाधन अंतर को कर हस्तांतरण के माध्यम से 32% से बढ़कर 42% करने का सुझाव दिया था

SCS” विशेष स्थिति (special status )से अलग कैसे? 

विशेष स्थिति (special status)अधिक विधायी और राजनीतिक अधिकार प्रदान करती है जबकि SCS केवल आर्थिक और वित्तीय  पहलुओं से संबंधित है |

सरकार की चुनौतियां

 राज्यों को इस तरह का विशेष दर्जा देने से केंद्र सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता है 

बिहार और आंध्र प्रदेश के साथ-साथ उड़ीसा ने भी विशेष दर्जे की मांग की है ऐसे में सरकार के लिए तीन राज्यों में से एक बाहर कर बाकी दो को विशेष दर्जा देना मुश्किल होगा अगर इन तीनों राज्यों को SCS दे   दिया जाता  है तो अन्य राज्य भी इसकी मांग करने लगेंगे |

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