पटना हाई कोर्ट ने 20 जून 2024 को शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में पिछड़ा वर्ग( BC), अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC), SCऔर ST के आरक्षण को 50% से बढ़कर 65% करने के लिए बिहार विधानमंडल द्वारा 2023 में पारित संशोधनों को रद्द कर दिया है और इस आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है
27 नवंबर 2023 को बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए 2OJune को पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी |
जनहित याचिका में कहां गया कि संविधानिक प्रावधानों के अनुसार सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण दिया गया था और जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं था
यह याचिका गौरव कुमार और नमन श्रेष्ठ ने दायर की थी
NOTE-बिहार में नए आरक्षण कानून के बाद बिहार में पिछड़ा वर्ग ,अत्यंत पिछड़ा वर्ग ,अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की सीमा 50% बढ़कर 65% कर दिया था, 10%EWS(आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ) के साथ , जिससे बिहार में आरक्षण कोटा 75% तक हो गया था जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित 50% की सीमा से काफी अधिक थी|
दरअसल,इंदिरा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट के 9 जजो की संविधान पीठ द्वारा 1992 में फैसला दिया गया था कि किसी भी सूरत में आरक्षण की सीमा 50% से ज्यादा नहीं हो सकती है |
EWS(आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग):– भारत सरकार ने इस श्रेणी के लोगों के लिए 10% आरक्षण की शुरुआत की है जो SC,ST,OBC श्रेणी में शामिल नहीं है लेकिन अनारक्षित श्रेणी से संबंधित हैऔर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मानदंडों को पूरा करते हैं|
इसे 9 जनवरी 2019 को संसद द्वारा 103 वां संविधान संशोधन अधिनियम 2019 पारित किया गया था |
10% का मतलब 10 / 100 अर्थात100 में से 10 seats EWS के लिए आरक्षित होगी जिसके पास यह सर्टिफिकेट होगा जो 1 साल के लिए वैध रहता है
सर्टिफिकेट के लिए मापदंड
1.जिस परिवार की सकल वार्षिक आय 8 लाखरुपए से कम हैउन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के रूप में माना गया है|
– आय मे सभी स्रोतों यानी वेतन ,कृषि, व्यवसाय आदि भी शामिल होगी
2. ऐसे व्यक्ति जिनके परिवार के पास निम्नलिखित में से कोई भी संपत्ति है EWS नहीं माना जाएगा भले ही परिवार की आय ₹800000 से कम हो
-5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि
-1000 वर्ग फुट और उससे अधिक का आवासीय भूखंड
-अधिसूचित नगर पालिकाओं में 100 वर्ग गज और उससे अधिक आवासीय भूखंड
-अधिसूचित नगर पालिकाओं के अलावा अन्य क्षेत्र में आवास, 200 वर्ग गज और उससे अधिक का भूखंड
आरक्षण का मतलब क्या होता है?
आरक्षण का मुख्य उद्देश्य समाज में समानता को सुनिश्चित करना है,
खासकर सरकारी सेवाओं में व संस्थानों में पर्याप्त भागीदारी नहीं रखने वाले पिछड़ी जाति समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों को सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने हेतु सरकार अपनी कानून के तहत सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्र में आरक्षण देती है|
केंद्र सरकार का आरक्षण प्रणाली
आरक्षित वर्ग की व्यक्तियों को भारत सरकार के नौकरी एवं शैक्षणिक संस्थानों में 49.5% तक आरक्षण प्राप्त है|
भारत में आरक्षण का इतिहास
भारत में आरक्षण का इतिहास आजादी से पहले से ही है छत्रपति शाहूजी महाराज ने 1902 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में गैर ब्राह्मण और पिछड़े वर्गों के पक्ष में आरक्षण की शुरुआत किया था| उन्होंने सभी को मुफ्त शिक्षा प्रदान की और इसे प्राप्त करनाआसन बनाने के लिए कई छात्रावास खोलें|
जाति आधारित आरक्षण प्रणाली की परिकल्पना 1882 ई मेंज्योति राव फुले एवं विलियम हंटर के द्वारा किया गया था
वर्तमान में जो आरक्षण प्रणाली सही अर्थों में शुरू की गई थी वह कम्युनल अवार्ड(communal award)1933 के तहत शुरू की गई थी जिसमें मुसलमान,सीखो, भारतीय ईसाइयों ,एंग्लो इंडियन, यूरोपीय लोगों और दलित के लिए अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र का प्रावधान किया गया था
बाद में पूना पैक्ट के तहत आरक्षण के कुछ प्रावधानों के साथ एकल हिंदू निर्वाचन क्षेत्र की व्यवस्था की गई
स्वतंत्रता के बाद:-
जाति आधारित आरक्षण को वैध बनाने के लिए 1951 में प्रथम संशोधन किया गया था
मंडल आयोग (1991):- अन्य पिछड़े वर्ग (OBCs) के आरक्षण के दायरे में शामिल
-मंडल आयोग की सिफारिश को तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने सरकारी नौकरियां लागू किया था
2006 से केंद्रीय सरकार के शैक्षिक संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण शुरू हुआ|
103 वां संविधान संशोधन अधिनियम( 2019)– 10% आरक्षण की व्यवस्था आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर
आज भारत की संसद में 543 सीटों में से 84(15.47%)अनुसूचित जाति/ दलितों के लिए आरक्षित है और एसटी/ जनजातियों के लिए 47(8.66%)आरक्षित है|
संवैधानिक प्रावधान और संशोधन
भाग 16 -केंद्र और राज्य विधायिका में SCऔरSTके आरक्षण
अनुच्छेद 15( 4) और 16( 4)- राज्य और केंद्र सरकारों को SC एवं ST समुदाय के सदस्यों के लिए सरकारी सेवाओं में सीट आरक्षित करने में सक्षम
अनुच्छेद 16( 4ए)-पदोन्नति में SC और ST के सदस्यों के लिए आरक्षण( 77वां संविधान संशोधन1995)
अनुच्छेद 16 (4बी ) -राज्य को अगले वर्ष में एससी और एसटी हेतु आरक्षित रिक्त पदों को भरने में सक्षम (81 वांसंविधान संशोधन 2000)
अनुच्छेद 39 ए- कमजोर वर्गों को न्याय एवं मुफ्त कानूनी सहायता
अनुच्छेद 330 और 332- सांसद और अराज विधान मंडलों में SCएवं ST के लिए सीटों का आरक्षण
अनुच्छेद 243D- पंचायत में SC,ST एवं महिला के लिए आरक्षण का प्रावधान
अनुच्छेद 233T- नगर निकाय मेंSC,ST,और महिला के लिए आरक्षण
न्यायिक घोषणाएं :-
मद्रास राज्य बनाम श्रीमती चंपकम दोराई राजन(1951 ):-इसमें जाति आधारित आरक्षण को वैध बनाने के लिए अनुच्छेद 15 में संशोधन करते हुए खंड 4 को जोड़ा गया |
इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ(1992):-इसमें आरक्षण की सीमा को निर्धारित किया गया इसमें कहा गया है कि आरक्षित कोटा 50% से अधिक नहीं होना चाहिए
OBCs में क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभार्थियों की सूची सेबाहर किया जाना चाहिए
एम नागराजन बनाम भारत संघ (2006):-इसमें कहा गया कि राज्य SC और ST को पदोन्नति मेंआरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है लेकिन यदि कोई राज्य ऐसा प्रावधान करना चाहता है तो उसे-
- वर्ग के पिछड़ेपन पर मात्रात्मक डाटा एकत्र करना होगा
- सार्वजनिक रोजगार में इसका पर्याप्त प्प्रतिनिधित्व नहीं है इस बात को साबित करना होगा
- प्रशासन की कार्य कुशलता पर कोई समझौता न करें
2018 मेंसुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति अपनी राज्य में एससी- एसटी सूची में शामिल व्यक्ति दूसरे राज्य के सरकारी नौकरी में एससी- एसटी के आरक्षण के लाभ नहीं प्राप्त कर सकते हैं| दिल्ली में सरकारी नौकरी करने वालों को अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति से संबंधित आरक्षण केंद्रीय सूची के हिसाब से मिलेगा