नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन

प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने बुधवार19 जून को 1749 करोड रुपए से बने नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन किया |उन्होंने 21 मिनट तक कार्यक्रम को संबोधित किया |इस दौरान पीएम मोदी के साथ विदेश मंत्री एस. जयशंकर,बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर,मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नालंदा में मौजूद थे |कई देशों के राजदूत, केंद्र और राज्य सरकार के कई मंत्री भी नालंदा पहुंचे थे|

PM inaugurates new campus of Nalanda University at Rajgir, in Bihar on June 19, 2024.

वे इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि  नालंदा केवल एक नाम नहीं है| नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है ,नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है ,गौरव है ,गाथा है ,नालंदा इस सत्य को उद्घोष है की आग की लपेटे में पुस्तकें भले ही जल जाए लेकिन आग के लपेटे ज्ञान को नहीं मिटा सकती | 

नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस की खास बातें:-

1.नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का परिसर कल 455 एकड़ में फैला हुआ है|

2.यह परिसर एक’ नेट जीरो’  ग्रीन केंपस है|

3.नए  कैंपस में पढ़ने के लिए खुले कमरे हैं इन कमरों में छत नहीं है यह प्राचीन यूनिवर्सिटी के तर्ज पर बनाया गया है|

4.नए कैंपस में दो एकेडमिक ब्लॉक बनाए गए हैं इसमें कुल 40 क्लास रूम है और करीब 19,000 स्टूडेंट की बैठने की व्यवस्था है  |

5.मौजूदा समय में यूनिवर्सिटी में 26 देश की विद्यार्थी विभिन्न कोर्सों में पढ़ाई कर रहे हैं|

6.यहां विदेशी छात्रों के लिए 137 छात्रवृत्ति भी शुरू की गई है|

7. पीजी और PHD के 7 सब्जेक्ट की पढ़ाई हो रही हैऔर दो की शुरुआत होनी है |

8. यूनिवर्सिटी ने ऑस्ट्रेलिया, भूटान,चीन, इंडोनेशिया ,सिंगापुर ,थाईलैंड, वियतनाम सहित कुल 17 देश के साथ एम ओ यू साइन किया है |

9.यहां 17 देश की 400 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं|

10.नए कैंपस का निर्माण नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम 2010 के तहत किया गया है|

नई भवन बनाने की शुरुआत कैसे हुई  ?

2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की पहल पर ,इसे बनाने के लिए बिहार असेंबली में विधेयक पास हुआ |

2007 में भारत सरकार ने अमर्त्य सेन (नोबेल पुरस्कार प्राप्त )की नेतृत्व में नालंदा मेंटल ग्रुप बनाया 

1 सितंबर 2014 को 15 स्टूडेंट के साथ नए नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाई की शुरुआत हुई | 

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास

नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 427 ईस्वी में गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त प्रथम ने की थी |स्थापना की तकरीबन 700 साल बाद तक नालंदा  दुनिया भर में शिक्षा का सबसे प्रमुख केंद्र रहा .साल दर साल इसकी ख्याति दुनिया भर में फैलती गई,  हर्षवर्धन और पाल शासको ने भी बाद में इसे  संरक्षण दिया |इस विश्वविद्यालय की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें 300 कमरे,7 बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए 9 मंजिला एक विशाल पुस्तकालय था .पुस्तकालय में 90 लाख से ज्यादा पुस्तक थी |

नालंदा विश्वविद्यालय में दुनिया के तमाम कोने से करीबन 10000 विद्यार्थी एक साथ पढ़ा करते थे यह धर्म दर्शन, चित्रकला, वस्तु, अंतरिक्ष विज्ञान ,धातु विज्ञान ,अर्थशास्त्र की पढ़ाई का गढ़ बन गया |

इतिहासकारों के मुताबिक स्थापना के 100 साल के अंदर नालंदा विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई में दुनिया भर में शीर्ष पर पहुंच गया |

यहां विद्यार्थियों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ आयुर्वेद के बारे में पढ़ाया जाता था | 

छात्रों को पढ़ने के लिए 1500 से अधिक शिक्षक थे |

छात्रों का चयन उनकी मेधा पर किया जाता था 

सबसे खास बात यह है कि यहां पर शिक्षा ,रहना और खाना सभी निशुल्क था 

इस विश्वविद्यालय में भारत ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, मंगोलिया जैसे देशों के  छात्र भी पढ़ने के लिए आते थे 

गणित और खगोल विज्ञान की पढ़ाई में भी नालंदा विश्वविद्यालय ने शोहरत बटोरी,भारतीय गणित के जनक के नाम से जाने वाले आर्यभट्ट छठी शताब्दी में नालंदा विश्वविद्यालय के प्रमुख थे |

इतिहासकारों के मुताबिक गणित और खगोल विज्ञान की तमाम थ्योरी नालंदा विश्वविद्यालय के जरिए ही दुनिया के दूसरे हिस्सों में पहुंची थी 

नालंदा विश्वविद्यालय 1193 ई तक फलता फूलता रहा | 

बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को क्यों नष्ट किया?

1199ई में तुर्क आक्रमणकारी खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय पर जोरदार हमला किया और पूरी विश्वविद्यालय को तहस नहस कर आग लगवा दिया| 

इतिहासकार बताते है कि जब बख्तियार खिलजी ने नालंदा यूनिवर्सिटी पर हमला किया ,तब  विश्वविद्यालय की तीन मंजिला लाइब्रेरी में करीबन 90 लाख किताबें और पांडुलिपियों थी, लाइब्रेरी में आग लगने के बाद किताब 3 महीने तक जलती रही | 

इतिहासकार बताते हैं कि खिलजी के नालंदा विश्वविद्यालय पर हमले की असली वजह इस्लाम की चुनौती देना  था | खिलजी को लगा कि नालंदा विश्वविद्यालय में जिस तरीके से बौद्ध और हिंदू धर्म फल -फूल रहा है उससे इस्लाम का खतरा है |

फारसी इतिहासकार मीन हाजुद्दीन सिराज अपनी किताब  तबकात- ए- नासिरी में लिखते हैं कि खिलजी किसी कीमत पर बौद्ध धर्म का प्रचार नहीं चाहता था 

खुदाई से प्राप्त अवशेष

नालंदा की खुदाई में करीब 14 हेक्टेयर में विश्वविद्यालय के अवशेष मिले हालांकि आर्कियोलॉजिस्ट कहते हैं कि यह मूल यूनिवर्सिटी का सिर्फ 10% हिस्सा है|खुदाई में यहां गौतम बुद्ध की कास्य की प्रतिमा ,हाथी दांत ,प्लास्टर की मूर्तियां प्राप्त हुई है|

                                फिलहाल यह साइट यूनेस्को(UNESCO) की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है|

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